महात्मा गाँधी के बचपन की कहानी
महात्मा गाँधी के बचपन की कहानी
( 2 October 1869)नमस्कार दोस्तों मैं ये कहानी उस महान व्यक्ति के बारे में हैं जिसे सारा जहाँ बापू के नाम से जानते हैं उनके ही जीवन के एक अनमोल यादे आपके साथ शेयर कर रहा हूँ अगर आपको अच्छा लगे तो अपने दोस्तों और परिवारों के साथ जरूर शेयर करे ।
बापू के जीवन से जुडी कुछ रोचक बातें जो
हमें बहुत कुछ बता जाते हैं जो कि इस प्रकार है :- पहले ऐसा था कि सभी
स्कूलों में बालकों को खेल गतिविधि में हिस्सा लेना जरुरी होता था और ऐसा
ही नियम राजकोट के उस स्कूल में भी था जिसमे Mahatma Gandhi ( Baapu ) पढ़ा
करते थे |
Gandhi Ji को खेलो में कोई रूचि नहीं थी
लेकिन फिर भी स्कूल के नियमो का पालन करने के लिए और खेलों में अनुपस्थिति
के लिए दण्डित न किया जाये इसी के भय से वो खेलों में अवश्य जाते थे |
एक शनिवार को प्रातः काल का स्कूल था और
खेलों का समय था शाम के चार बजे| बालक गांधीजी के पास न तो घड़ी थी और न ही
कोई तरकीब जिस से समय का ठीक-ठीक ज्ञान हो सके और ऊपर से आकाश में बादल
छाये हुए थे जिसके कारण उन्हें समय का सही से ज्ञान नहीं हो सका और वो समय
पर नहीं पहुच पाए|
जब वो देरी से स्कूल में पहुंचे तो प्रधानध्यापक ने उनसे देरी से आने का
कारण पूछा तो उन्होंने सही से जो बात थी सब सच सच बता दिया| किन्तु
प्रधानाध्यापक को उनकी बात का कोई भरोसा नहीं हुआ और उन्होंने बालक गांधीजी
पर एक आना जुर्माना लगा दिया गया |
गाँधी जी रो पड़े | उनके एक मित्र ने
Gandhi से कहा कि बस मोहन एक आना जुर्माने से ही रो पड़े जबकि तुम्हारे
पिता तो बहुत अमीर आदमी है |
Gandhi ji ने जवाब दिया कि मैं इसलिए नहीं
रो रहा मेरे मित्र कि मुझ पर प्रधानाध्यापक ने जुर्माना लगाया है जबकि मैं
तो इसलिए रो रहा हूँ कि मुझे झूठा समझा गया है।
Labels: biography, india history, stories
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