Oct 27, 2018

उस रोज़ दिवाली होती है ~ अटल बिहारी वाजपेयीउस रोज़ दिवाली होती है ~ अटल बिहारी वाजपेयी

उस रोज़ दिवाली होती है,   
जब मन में हो मौज-बहारों की ,
चमकाए चमक सितारों की ,
जब खुशियों के शुभ घेरे हों
तन्हाई में भी मेले हों
आनंद की आभा होती है ,
उस रोज़ दिवाली होती है।।
             
जब प्रेम के दीपक जलते हों ,
सपने जब सच में बदलते हों ,
मन में हो मधुरता भावों की ,
जब लहकें फसलें चावों की ,
उत्साह की आभा होती है ,
उस रोज़ दिवाली होती है ।।
             
जब प्रेम से मीत बुलाते हों ,
दुश्मन भी गले लगाते हों ,
जब कहीं किसी से वैर न हो ,
सब अपने हों कोई ग़ैर न हो ,
अपनत्व की आभा होती है ,
उस रोज़ दिवाली होती है।।
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Real stories:                        यंत्र के घोड़े की कहानी ~ अ...

Real stories:                        यंत्र के घोड़े की कहानी ~ अ...:                        यंत्र के घोड़े की कहानी ~ अलिफ लैला बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में...

                       यंत्र के घोड़े की कहानी ~ अलिफ लैला









बादशाह सलामत, आपको यह मालूम ही है कि हजारों वर्ष से फारस में नौरोज यानी वर्ष का प्रथम दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। उसमें सभी लोग विशेषतः अग्निपूजक, भाँति-भाँति के नृत्यों और खेल-तमाशों का आयोजन करते हैं। बादशाहों और सामंतों को उनके प्रशंसक और सहायक अच्छी-अच्छी भेंटें देते हैं, देश-विदेश की सुंदर और दुर्लभ वस्तुएँ उन्हें भेंट में दी जाती हैं और बादशाह और अमीर लोग भी अपने वफादार साथियों और सेवकों को हजारों रुपए इनाम में देते हैं। पुराने जमाने में फारस का एक बादशाह नगर के बाहर मैदान में हो रहे नौरोज के उत्सव में भाग लेने के लिए गया। उसके सारे दरबारियों, सामंतों और प्रमुख राजकर्मचारियों ने आ कर उसकी सेवा में बहुमूल्य भेंटें दीं। प्रख्यात कलाकारों और कारीगरों ने अपनी बनाई सुंदर वस्तुएँ भेंट में दीं।
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Oct 2, 2018

महात्मा गाँधी के बचपन की कहानी

महात्मा गाँधी के बचपन की कहानी

                                                                  ( 2 October 1869)

नमस्कार दोस्तों मैं ये कहानी उस महान व्यक्ति के बारे में हैं जिसे सारा जहाँ बापू के नाम से जानते हैं उनके ही जीवन के एक अनमोल यादे आपके साथ शेयर कर रहा हूँ अगर आपको अच्छा लगे तो अपने दोस्तों और परिवारों के साथ जरूर शेयर करे ।
बापू के जीवन से जुडी कुछ रोचक बातें जो हमें बहुत कुछ बता जाते हैं जो कि इस प्रकार है :- पहले ऐसा था कि सभी स्कूलों में बालकों को खेल गतिविधि में हिस्सा लेना जरुरी होता था और ऐसा ही नियम राजकोट के उस स्कूल में भी था जिसमे Mahatma Gandhi ( Baapu ) पढ़ा करते थे |

Gandhi Ji को खेलो में कोई रूचि नहीं थी लेकिन फिर भी स्कूल के नियमो का पालन करने के लिए और खेलों में अनुपस्थिति के लिए दण्डित न किया जाये इसी के भय से वो खेलों में अवश्य जाते थे |

एक शनिवार को प्रातः काल का स्कूल था और खेलों का समय था शाम के चार बजे| बालक गांधीजी के पास न तो घड़ी थी और न ही कोई तरकीब जिस से समय का ठीक-ठीक ज्ञान हो सके और ऊपर से आकाश में बादल छाये हुए थे जिसके कारण उन्हें समय का सही से ज्ञान नहीं हो सका और वो समय पर नहीं पहुच पाए|
जब वो देरी से स्कूल में पहुंचे तो प्रधानध्यापक ने उनसे देरी से आने का कारण पूछा तो उन्होंने सही से जो बात थी सब सच सच बता दिया| किन्तु प्रधानाध्यापक को उनकी बात का कोई भरोसा नहीं हुआ और उन्होंने बालक गांधीजी पर एक आना जुर्माना लगा दिया गया |
गाँधी जी रो पड़े | उनके एक मित्र ने Gandhi से कहा कि बस मोहन एक आना जुर्माने से ही रो पड़े जबकि तुम्हारे पिता तो बहुत अमीर आदमी है |

Gandhi ji ने जवाब दिया कि मैं इसलिए नहीं रो रहा मेरे मित्र कि मुझ पर प्रधानाध्यापक ने जुर्माना लगाया है जबकि मैं तो इसलिए रो रहा हूँ कि मुझे झूठा समझा गया है।

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