Feb 24, 2019

सरदार वल्लभभाई पटेल – Sardar Vallabhbhai Patel

                                       

सरदार वल्लभभाई पटेल – Sardar Vallabhbhai Patel 

                                          
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नाडियाड ग्राम, गुजरात में हुआ था। उनके पिता जव्हेरभाई पटेल एक साधारण किसान और माता लाडबाई एक गृहिणी थी। बचपन से ही वे परिश्रमी थे, बचपन से ही खेती में अपने पिता की सहायता करते थे। वल्लभभाई पटेल ने पेटलाद की एन.के. हाई स्कूल से शिक्षा ली।
स्कूल के दिनों से ही वे हुशार और विद्वान थे। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद उनके पिता ने उन्हें 1896 में हाई-स्कूल परीक्षा पास करने के बाद कॉलेज भेजने का निर्णय लिया था लेकिन वल्लभभाई ने कॉलेज जाने से इंकार कर दिया था। इसके बाद लगभग तीन साल तक वल्लभभाई घर पर ही थे और कठिन मेहनत करके बॅरिस्टर की उपाधी संपादन की और साथ ही में देशसेवा में कार्य करने लगे।
वल्लभभाई पटेल एक भारतीय बैरिस्टर और राजनेता थे, और भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के मुख्य नेताओ में से एक थे और साथ ही भारतीय गणराज्य के संस्थापक जनको में से एक थे। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता थे जिन्होंने देश की आज़ादी के लिये कड़ा संघर्ष किया था और उन्होंने भारत को एकता के सूत्र में बांधने और आज़ाद बनाने का सपना देखा था।
गुजरात राज्य में वे पले बढे। पटेल ने सफलतापूर्वक वकिली का प्रशिक्षण ले रखा था। बाद में उन्होंने खेडा, बोरसद और बारडोली के किसानो को जमा किया और ब्रिटिश राज में पुलिसकर्मी द्वारा किये जा रहे जुल्मो का विरोध उन्होंने अहिंसात्मक ढंग से किया। वो हमेशा कहते थे –
“आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।”
इस कार्य के साथ ही वे गुजरात के मुख्य स्वतंत्रता सेनानियों और राजनेताओ में से एक बन गए थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में भी अपने पद को विकसित किया था और 1934 और 1937 के चुनाव में उन्होंने एक पार्टी भी स्थापित की थी। और लगातार वे भारत छोडो आन्दोलन का प्रसार-प्रचार कर रहे थे।
भारतीय के पहले गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने पंजाब और दिल्ली से आये शरणार्थियो के लिये देश में शांति का माहोल विकसित किया था। इसके बाद पटेल ने एक भारत के कार्य को अपने हाथो में लिया था और वो था देश को ब्रिटिश राज से मुक्ति दिलाना।
भारतीय स्वतंत्रता एक्ट 1947 के तहत पटेल देश के सभी राज्यों की स्थिति को आर्थिक और दर्शनिक रूप से मजबूत बनाना चाहते थे। वे देश की सैन्य शक्ति और जन शक्ति दोनों को विकसित कर देश को एकता के सूत्र में बांधना चाहते थे।
पटेल के अनुसार आज़ाद भारत बिल्कुल नया और सुंदर होना चाहिए। अपने असंख्य योगदान की बदौलत ही देश की जनता ने उन्हें “आयरन मैन ऑफ़ इंडिया – लोह पुरुष” की उपाधि दी थी। इसके साथ ही उन्हें “भारतीय सिविल सर्वेंट के संरक्षक’ भी कहा जाता है। कहा जाता है की उन्होंने ही आधुनिक भारत के सर्विस-सिस्टम की स्थापना की थी।
सरदार वल्लभभाई पटेल एक ऐसा नाम एवं ऐसे व्यक्तित्व है जिन्हें स्वतंत्रता संग्राम के बाद कई भारतीय युवा प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते थे। लेकिन अंग्रेजो की निति, महात्मा गांधी जी के निर्णय के कारण देशवासियों का यह सपना पूरा नही हो सका था।
आज़ादी के समय में एक शूरवीर की तरह सरदार पटेल की ख्याति थी। सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन से यह बात तो स्पष्ट हो गयी थी की इंसान महान बनकर पैदा नही होता।
उनके प्रारंभिक जीवन को जानकर हम कह सकते है की सरदार पटेल हम जैसे ही एक साधारण इंसान ही थे जो रुपये, पैसे और सुरक्षित भविष्य की चाह रहते हो। लेकिन देशसेवा में लगने के बाद धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए बेरिस्टर वल्लभभाई पटेल कब सरदार पटेल और लौह पुरुष वल्लभभाई पटेल बन गए पता ही नही चला।
सरदार पटेल ने राष्ट्रिय एकता का एक ऐसा स्वरुप दिखाया था जिसके बारे में उस समय में कोई सोच भी नही सकता था। उनके इन्ही कार्यो के कारण उनके जन्मदिन को राष्ट्रिय स्मृति दिवस को राष्ट्रिय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस दिन को भारत सरकार ने 2014 से मनाना शुरू किया था, हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रिय एकता दिवस मनाया जाता है।

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World cup भारत-पाकिस्तान मैच पर संकट।

  •   पुलवामा हमले के बाद भारत भी पाकिस्तान से खेलने से कर सकता है इनकार

  •   वर्ल्ड कप 30 मई से इंग्लैंड में, भारत-पाकिस्तान मैच 16 जून को

                    


          पाकिस्तान ने भले ही पुलवामा हमले में अपना हाथ होने से इनकार किया है, लेकिन भारत सरकार इस घटना के लिए उसे ही दोषी मानती है। हमले के बाद से वर्ल्ड कप में भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले मैच पर भी संकट मंडरा रहा है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि सरकार मना करती है तो टीम इंडिया वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच नहीं खेलेगी। सौरव गांगुली, आकाश चोपड़ा, हरभजन सिंह समेत कई पूर्व भारतीय क्रिकेटर्स भी पाकिस्तान से मैच खेलने के खिलाफ हैं।
इंग्लैंड में 30 मई से 14 जुलाई तक वर्ल्ड कप के मैच होने हैं। मौजूदा कार्यक्रम के मुताबिक भारत-पाकिस्तान का मैच 16 जून को मैनचेस्टर में होना है। भारत अगर पाकिस्तान से नहीं खेलता है तो वर्ल्ड कप में यह 5वां मौका हौगा, जब कोई टीम मैच खेलने से इनकार करेगी। इससे पहले 1996 और 2003 वर्ल्ड कप में दो-दो मैच नहीं खेले गए थे। भारत 5वां देश होगा जो वर्ल्ड कप में सुरक्षा संबंधी या प्रतिद्वंद्वी से अच्छे रिश्ते नहीं होने के कारण किसी खास टीम के खिलाफ मैच नहीं खेलेगा।

 

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Cricket सुरक्षा कारणों से अब तक 4 टीमें विपक्षी देश में खेलने से कर चुकी हैं इनकार




                   ऑस्ट्रेलिया v/s श्रीलंका (1996)    

                      


  

                   यह वर्ल्ड कप भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका की संयुक्त मेजबानी में हुआ था। वर्ल्ड कप से पहले श्रीलंका में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) लगातार धमाके कर रहा था। 17 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया-श्रीलंका के बीच वर्ल्ड कप का 5वां मुकाबला खेला जाना था। लगातार हो रहे धमाकों से चिंतित ऑस्ट्रेलियाई टीम ने श्रीलंका में खेलने से मना कर दिया। इसके बाद श्रीलंका को वॉकओवर दिया गया और उसे दो अंक मिल गए। बाद में लाहौर में दोनों टीमें फाइनल में आमने-सामने हुईं। श्रीलंका मैच जीतकर पहली बार चैम्पियन बना था।

वेस्टइंडीज v/s श्रीलंका (1996) 


 

              ऑस्ट्रेलिया के मना करने के बाद वेस्टइंडीज टीम भी टूर्नामेंट के 15वें मैच में श्रीलंका से नहीं खेली। कोलंबो के आर. प्रेमदासा स्टेडियम में मैच नहीं होने के कारण लंकाई टीम को फिर दो अंक मिल गए। इसे वह ग्रुप दौर में शीर्ष पर पहुंच गया। विंडीज टीम चौथे स्थान पर रही। हालांकि, वेस्टइंडीज किसी तरह सेमीफाइनल में पहुंच गया, लेकिन वहां ऑस्ट्रेलिया के हाथों उसे हार का सामना करना पड़ा।

 इंग्लैंड v/s जिम्बाब्वे (2003)

                                       

                   दक्षिण अफ्रीका को पहली बार वर्ल्ड कप की मेजबानी मिली। उसके साथ केन्या और जिम्बाब्वे भी संयुक्त मेजबान थे। पहली बार टूर्नामेंट में 14 टीमें हिस्सा ले रही थी। जिम्बाब्वे के हरारे स्पोर्ट्स ग्राउंड पर वर्ल्ड का 8वां मुकाबला खेला जाना था, लेकिन इंग्लैंड ने मेजबान देश के खिलाफ खेलने से मना कर दिया। उसने यह फैसला जिम्बाब्वे में राजनीतिक संकट और सुरक्षा कारणों से लिया। इससे जिम्बाब्वे को 4 अंक मिले। इंग्लैंड 12 अंकों के साथ टूर्नामेंट से बाहर हो गई। वह नॉकआउट में नहीं पहुंच पाई। वहीं जिम्बाब्वे की टीम नॉकआउट में जगह बनाने में सफल रही। हालांकि, वह सुपर सिक्स में श्रीलंका से हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई।

न्यूजीलैंड v/s केन्या (2003)


टूर्नामेंट का 21वां मुकाबला केन्या और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाना था। केन्या में आतंकी घटनाओं की धमकियों के ध्यान में रखते हुए न्यूजीलैंड क्रिकेट बोर्ड ने वहां खेलने से मना कर दिया। इससे केन्या को दो अंक मिले। टूर्नामेंट में केन्याई टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया। जहां उसे भारत ने 91 रन से हराया। फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हराकर तीसरी बार खिताब अपने नाम किया था।

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